श्रीमद्भगवद्गीता में योग की अवधारणा एवं सार्वकालिकता

Authors(1) :-डॉ.अराधिका

गीता में योग की अवधारणा एवं सार्वकालिकता इसके बहुआयामी स्वरूप में निहित है। जहां कर्मयोग कर्त्तव्य का मार्ग है तो ज्ञानयोग सत्य का प्रकाश, भक्तियोग प्रेम का सेतु है तो ध्यानयोग शांति की साधना। ये चारों योग एक-दूसरे के पूरक हैं और मानव जीवन को पूर्णता प्रदान करते हैं। अन्य ग्रंथ जैसे योगसूत्र, उपनिषद् और भक्ति सूत्र गीता के इस दर्शन को और समृद्ध करते हैं। योग केवल शारीरिक अभ्यास ही नहीं, बल्कि जीवन का संपूर्ण दर्शन है, जो आत्मा को परमात्मा से मिलन का मार्ग दिखाता है। आधुनिक युग में जहाँ तनाव, भौतिकता और अज्ञानता का बोलबाला है, वहां गीता का योग दर्शन प्रासंगिक और प्रेरणादायी है। यह हमें न केवल व्यक्तिगत शांति देता है, बल्कि सामाजिक समरसता और आत्म-जागरूकता की ओर भी ले जाता है। गीता की यह योग विषयक अवधारणा आज भी मानवता के लिए प्रकाशस्तंभ बना हुआ है।

Authors and Affiliations

डॉ.अराधिका
सहायक आचार्य, संस्कृतविभाग, बाबा बरुआ दास पी जी कालेज, परुइया आश्रम ,अंबेडकर नगर।

श्रीमद्भगवद्गीता, शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, योग।

  1. "योगः चित्तवृत्तिनिरोधः -पतंजलि योगसूत्र, सूत्र2
  2. समत्वंयोगउच्यते- श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 48
  3. कुमारसम्भवम् 5/33
  4. न तस्य रोगो न जरा न मृत्युः प्राप्तस्य योगाग्निमयं शरीरम् - श्वेताश्वतरोपनिषद्- 2.12
  5. तपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः' - पात० यो० सू०1
  6. यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि।पा०यो०सूत्र०29
  7. पातंजल दर्शन – सर्वदर्शन संग्रह - चौखम्भा विद्याभवन प्रकाशन – पृष्ठ 547
  8. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 47
  9. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 3, श्लोक 19
  10. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 5, श्लोक 2
  11. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 4, श्लोक 38
  12. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 13, श्लोक 2
  13. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 7, श्लोक 19
  14. मुण्डक उपनिषद्, 1.1.4
  15. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 12, श्लोक 2
  16. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 9, श्लोक 34
  17. नारद भक्ति सूत्र, सूत्र 2
  18. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 6, श्लोक 15
  19. श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय 8, श्लोक 12
  20. कठोपनिषद्, 1.3.3

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 5 | September-October 2024
Date of Publication : 2024-10-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 60-65
Manuscript Number : SHISRRJ24760
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ.अराधिका , "श्रीमद्भगवद्गीता में योग की अवधारणा एवं सार्वकालिकता ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 7, Issue 5, pp.60-65, September-October.2024
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ24760

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