Manuscript Number : SHISRRJ258311
इस्लाम में संगीत की परम्परा और पारिजात
Authors(1) :-ज़ेबी फ़रहा संगीत एक ऐसी कलात्मक अभिव्यक्ति है जिसमें लय, ताल, स्वर और अन्य ध्वनियों का संयोजन होता है। संगीत का इतिहास मानव के इतिहास से जुड़ा है। अरब में संगीत की एक सुदृढ़ और समृद्ध परंपरा मौजूद थी। इस्लाम के फैलने के साथ-साथ यह परंपरा भी दूसरे देशों में पहुंची। अरबी संगीत ने विश्व भर में अपनी छाप छोड़ी और विभिन्न संस्कृतियों के साथ मिलकर नई संगीत शैलियों को जन्म दिया। पारिजात उपन्यास में संगीत के सामाजिक प्रभाव का उल्लेख है जो यह दर्शाता है कि संगीत न केवल एक कला है बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधि भी है जो अलग-अलग समुदाय को एक साथ लाती है। पारिजात उपन्यास के माध्यम से इस्लाम में संगीत की सुदृढ़ परंपरा का पता चलता है।
ज़ेबी फ़रहा इस्लाम, अरबी संगीत, भारतीय संगीत, भारतीयइस्लामी संस्कृति, मर्सिया, कव्वालीऔर नोहा।
Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 3 | May-June 2025 Article Preview
शोधार्थी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली
Date of Publication : 2025-05-08
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-07
Manuscript Number : SHISRRJ258311
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ258311