Manuscript Number : SHISRRJ25837
पुराणों का उद्देश्य एवं महत्व
Authors(1) :-डा0 अराधना उपाध्याय
विभिन्न पुराणों में विभिन्न देवों की महत्ता का ज्ञापन और उनके गुणों का कथन विस्तारपूर्वक हुआ है तथापि विशेष रूप से तथा प्राथकि रूप से किस देव का महिमा वर्णन हुआ, इस सम्बन्ध में डाॅ0 हरवंशलाल शर्मा लिखते हैं कि ‘‘इन पुराणों के सूक्ष्म विवेचन और अध्ययन से पता चलता है कि पहले शिव की उपासना का ही विशेष महत्व रहा है। धीरे-धीरे विष्णु और शिव में साम्य स्थापित हुआ और फिर विष्णु को महत्व प्रदान किया गया। चारों पुराणों में विष्णु के साथ-साथ महादेव की भी विशेषता बतायी गयी है। इन पुराणों में लक्ष्य करने की एक और बात यह है कि ‘‘शैवपुराण’ शिव को, ‘‘विष्णुपुराण’ विष्णु को, ‘‘शाक्तपुराण’ शक्ति को तथा ‘‘सौरपुराण’ सूर्य को अन्य देवताओं का सृष्टा मानते हैं। ब्रह्मा के अतिरिक्त अन्य पाँच देवताओं- विष्णु, शिव, सूर्य, गणेश, शक्ति का महत्व प्राचीन-परम्परा से चला आया है और आज भी धार्मिक गीतों में हमें उनका उल्लेख साथ-साथ मिलता है।’
डा0 अराधना उपाध्याय
पुराण, देवता, शक्ति, सौरपुराण, शैवपुराण, संस्कृति, पुरूषार्थ। Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025 Article Preview
पूर्व शोध छात्रा, संस्कृत विभाग, महन्थ रामाश्रयदास स्नाकोत्तर महाविद्यालय, भुड़कुड़ा, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2025-01-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 209-213
Manuscript Number : SHISRRJ25837
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ25837