पुराणों का उद्देश्य एवं महत्व

Authors(1) :-डा0 अराधना उपाध्याय

विभिन्न पुराणों में विभिन्न देवों की महत्ता का ज्ञापन और उनके गुणों का कथन विस्तारपूर्वक हुआ है तथापि विशेष रूप से तथा प्राथकि रूप से किस देव का महिमा वर्णन हुआ, इस सम्बन्ध में डाॅ0 हरवंशलाल शर्मा लिखते हैं कि ‘‘इन पुराणों के सूक्ष्म विवेचन और अध्ययन से पता चलता है कि पहले शिव की उपासना का ही विशेष महत्व रहा है। धीरे-धीरे विष्णु और शिव में साम्य स्थापित हुआ और फिर विष्णु को महत्व प्रदान किया गया। चारों पुराणों में विष्णु के साथ-साथ महादेव की भी विशेषता बतायी गयी है। इन पुराणों में लक्ष्य करने की एक और बात यह है कि ‘‘शैवपुराण’ शिव को, ‘‘विष्णुपुराण’ विष्णु को, ‘‘शाक्तपुराण’ शक्ति को तथा ‘‘सौरपुराण’ सूर्य को अन्य देवताओं का सृष्टा मानते हैं। ब्रह्मा के अतिरिक्त अन्य पाँच देवताओं- विष्णु, शिव, सूर्य, गणेश, शक्ति का महत्व प्राचीन-परम्परा से चला आया है और आज भी धार्मिक गीतों में हमें उनका उल्लेख साथ-साथ मिलता है।’

Authors and Affiliations

डा0 अराधना उपाध्याय
पूर्व शोध छात्रा, संस्कृत विभाग, महन्थ रामाश्रयदास स्नाकोत्तर महाविद्यालय, भुड़कुड़ा, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश।

पुराण, देवता, शक्ति, सौरपुराण, शैवपुराण, संस्कृति, पुरूषार्थ।

  1. महाभारत,
  2. विष्णुपुरण का भारत, डाॅ0 सर्वानन्द पाठक,
  3. पुराण परिशीलन, पं0 गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी
  4. श्रीमद्भागवत माहात्म्य, 3.42
  5. तदेव, 3.43
  6. श्रीमद्भागवत माहात्म्य, 6.80
  7. शतपथ ब्राह्मण, 10.4.3.112
  8. बृहदारण्यक, 2.4.10
  9. सर्गश्व प्रतिसर्गश्व वंशो मन्वन्तराणि च। वंशानुचरितं चेति पुराणं पंचलक्षणम् ।। शुक्रनीति, अ. 4, पृ0 264 तथा 93-94
  10. आद्यं सनत्कुमारोक्तं नारसिंहमथापरम्। तृतीयं स्कान्दमुद्दिष्टं कमारेणु भाषितम्।। कपिलं वामनं चैव तथौवोषनसेरितम्। ब्रह्माण्डं वारूणं चाथ लिकाहृयमेव चं।। माहेश्वरं तथा साम्बं सौरं सर्वार्थ संचयम्।। पराषरोक्तमपरं मारीचं भास्कराहृयम्।। वृहद्विवेक, 3.1-4
  11. आद्यं सनत्कुमारं च नारदीयं बृहच्च यत्। आदित्यं मानव प्रोक्तं नन्दिकेश्वर मेव च।। कौम्र्य भागवतं श्रेयं वाशिष्ठं भार्गवं तथा। मुद्गलं कल्कि दैवयौ च महाभागवतं तथा। वहद्धर्मं परानन्दं बहिृ पशुपतिं तथा।। हरिवंश ततो ज्ञेयमिदमौप पुरायणकम्।। बृहद्विवेक, 3.37-39
  12. पुराण दिग्दर्शन, अध्याय 1, पृ0 55
  13. वाजसनेयी संहिता, 3.67, 16.1
  14. सूर और उनका साहित्य, पृ0 111
  15. हिन्दुत्व, पृ0 168
  16. स्कन्दपुराण, प्रथम अध्याय, केदारखण्ड
  17. तदेव, सम्भवकाण्ड, 2.30-39

Publication Details

Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025
Date of Publication : 2025-01-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 209-213
Manuscript Number : SHISRRJ25837
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डा0 अराधना उपाध्याय , "पुराणों का उद्देश्य एवं महत्व", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 8, Issue 1, pp.209-213, January-February.2025
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ25837

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