Manuscript Number : SHISRRJ20361
'नौकर की कमीज़', व्यवस्था और मुक्तिबोध
Authors(1) :-आराधना साव हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकर, कथाकार तथा कवि विनोद कुमार शुक्ल काफी लंबा समय कवि मुक्तिबोध के साथ बिताए थे, यही कारण है कि उनपर मुक्तिबोध का काफी प्रभाव पड़ा । उन्होने स्वयं कई साक्षात्कारों में यह तथ्य स्वीकार किया है कि उनके लेखन पर मुक्तिबोध का काफी प्रभाव है । अतः इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए मैंने प्रस्तुत शोध-पत्र में विनोद कुमार शुक्ल के प्रसिद्ध उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’ पर मुक्तिबोध के प्रभाव की पड़ताल करने की कोशिश की है एवं इसी आधार पर निष्कर्ष तक पहुंची हूँ ।
आराधना साव व्यवस्था, निम्नमध्यवर्ग, संघर्ष, शोषण, नौकरशाही, नौकर, विनोद कुमार शुक्ल, मुक्तिबोध । Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
नेट/जेआरएफ़, शोधार्थी, हिन्दी विभाग, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता, भारत।
Date of Publication : 2020-10-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 61-66
Manuscript Number : SHISRRJ20361
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ20361